उदयपुर संभाग की व सलूंबर जिले की प्रसिद्ध शक्तिपीठ अग्नि से स्नान करने वाली ईडाणा माता में नवरात्रि स्थापना के साथ ही 11 किलो चांदी की नवीन आंगी धराई गई। इस मंदिर की अनोखी बात यह है कि ईडाणा माता मंदिर पर छत नहीं है। मां खुले में विराजित है और यह समय समय पर भक्तों को अग्नि स्नान के दर्शन देती है।
नवरात्रि के नौ दिनों तक प्रतिदिन हजारों भक्त यहां पर दर्शन करते है और खासकर अष्टमी के दिन यहां पर भक्तों की संख्या कई गुना बढ जाती है। वहीं नवरात्रि के दौरान यहां पर ट्रस्ट की ओर से निशुल्क भोजन वह महाप्रसाद की व्यवस्था की जाती हैं। इस मंदिर का इतिहास गौरवशाली है और मान्यता है कि यहां पर आने वाले हर भक्त की मनोकामना पूर्ण होती हैं। यहां पर लकवाग्रस्त मरीज अधिक आते है और मंदिर में तय समय पर परिक्रमा करने के साथ ही माताजी के दर्शन करने से लकवे जैसे बिमार से निजात मिलती है।
अग्नि स्नान करने वाली देवी के नाम से प्रसिद्ध है ईडाणा माता
मान्यता है कि जब जब माताजी के आने वाला चढ़ावा अधिक हो जाता है और माताजी पर भार बढ़ने के बाद ईडाणा माता स्वंय अग्नि स्नान करती है। अग्नि स्नान सदियों से प्रचलित है। अग्नि का जरिया क्या है, ये कभी क्यों नहीं बुझती है, इसका पता आज तक नहीं लग सकता है। इसी वजह से श्रद्धालुओं की मंदिर पर आस्था अटूट है। वो इस घटना को चमत्कार कहते हैं।
अग्नि स्नान के दौरान देवी मां के सारे कपड़े और आसपास रखा भोजन जल जाता है। माता रानी का यह अग्नि स्नान काफी विशालकाय होता है, जिसके चलते कई बार नजदीक के बरगद के पेड़ को भी नुकसान पहुंचता है। लेकिन, आज तक माता रानी की मूर्ति पर इसका कोई असर नहीं हुआ।
वैज्ञानिक पुष्टि नहीं, स्थानीय जनप्रतिनिधि और प्रशासन द्वारा इसे स्वीकार गया
हालांकि वैज्ञानिक तौर पर इस मंदिर में माता रानी के अग्नि स्नान की पुष्टि अब तक नहीं की गई है, लेकिन मान्यताओं के अनुसार यहां पर माता रानी स्वयं ही अग्नि स्नान करती है। स्थानीय जनप्रतिनिधि और प्रशासन द्वारा इसे स्वीकार किया गया है।