बच्ची ट्राइको बेजार नाम की बिमारी से पीडित थी
डूंगरपुर। जांके राखो साईया मार सकें न कोई। यह कहावत डूंगरपुर जिले की एक मासूम पर चरितार्थ होती हैं। किसी ने सोचा नहीं होगा कि मात्र पांच साल की बच्ची के पेट में भी 400 ग्राम बाल इकठ्ठा हो सकते है लेकिन ऐसा हुआ है ओर डूंगरपुर के एक या दो नहीं बल्कि 9 चिकित्सकों ने एक साथ मासूम के पेट के आपरेशन कर करीब 400 ग्राम बाल बाहर निकाले। बच्ची ट्राइको बेजार बीमारी से पीड़ित थी इसलिए वह खुद के बाल खा रही थी। इससे उसके पेट में बालों का गुच्छा बन गया था। पेट दर्द और भूख नहीं लगने की शिकायत पर परिजन उसे डूंगरपुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल लाए। यहां पर जांच के दौरान यह बात सामने आई कि बच्ची के पेट में बाल हैं।
मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक डॉ. महेंद्र डामोर ने बताया कि 16 अप्रैल की रात के समय खडगदा गांव की एक 5 साल की बच्ची को लेकर उसके माता-पिता अस्पताल पहुंचे। माता-पिता ने बताया- बच्ची को भूख नहीं लगती है। पेट में सूजन है और खाने-पीने में तकलीफ होती है। वरिष्ठ सर्जन डॉ. सुषमा यादव ने बच्ची की जांच करवाई, जिसमें बच्ची के पेट में बालों का गुच्छा होने का पता लगा। इस पर बच्ची को भर्ती कर लिया। इसके बाद बुधवार को ऑपरेशन किया गया।
पेट दर्द से परेशान थी मासूम
डॉ. महेंद्र डामोर, डॉ. सुषमा, डॉ. अर्जुन खराड़ी, डॉ. रजत यादव, डॉ. सुहानी गड़िया, डॉ. विनिता गोदा, डॉ. अमित जैन, डॉ. कुश, डॉ. कमला के साथ पुष्पा कटारा, जावेद, माया की टीम ने बुधवार को ऑपरेशन किया। 40 मिनट तक चले ऑपरेशन में बच्ची के पेट से करीब 350 से 400 ग्राम बालों का गुच्छा निकाला। बालों का ये गुच्छा पेट से लेकर आंतों तक फैला था। खाने की बजाय पेट में बाल थे। इससे बच्ची को खाने-पीने से लेकर कई तकलीफ हो रही थी।
ट्राइकोबेजार बीमारी के कारण खा रही थी खुद के बाल
डॉ. सुषमा ने बताया- बाल खाने की आदत खासकर यूथ महिलाओं में होती है। छोटे बच्चों में ये आदत बहुत कम होती है। इसे ट्राइकोबेजार बीमारी कहते हैं। इसके बाद पेट में ये बाल गुच्छे की तरह जमा हो जाते हैं। इससे खाने-पीने की क्षमता खत्म हो जाती है। ऑपरेशन के बाद बच्ची की तबीयत अब ठीक है।