राजस्थान में आगामी चुनाव को लेकर भाजपा जुटी तैयारियों में, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया को राज्यपाल बनाने के बाद प्रदेश में किसका चलेगा जादू और किसका लगेगा नम्बर
बड़ा सवाल : कौन पड़ेगा, किस पर भारी
राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनाव में महज कुछ ही महीनों का समय बचा है। ऐसे में राजस्थान में चुनाव की खुशबू अभी से महकने लगी है। सारे राजनीतिक दल सत्ता को पाने के लिए जोड़-तोड़ के साथ नए-नए समीकरणों को बनाने में जुट गए हैं। सत्ताधारी कांग्रेस जहां सत्ता में वापसी के लिए व्यूह रचना को बनाने में जुट गई है, वहीं विपक्षी दल भाजपा भी सत्ता में वापसी के लिए मजबूती से मैदान में उतर गया है। शीर्ष नेता से लेकर कार्यकर्ता तक सभी अपने-अपने पक्ष में माहौल बनाने में जुट गए हैं। भाजपा की कमान देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने थाम रखी है। वे अपने चिर परिचित अंदाज में पार्टी के पक्ष में बखूबी तरीके से काम कर रहे हैं। भाजपा अपनी पार्टी के राष्ट्रवादी, हिन्दुत्ववादी जैसे मुद्दों को लेकर आगे बढ़ रही है तो नौ राज्यों के आने वाले विधानसभा चुनावों की कार्ययोजना में जुटी हुई है। राजस्थान में इसी कड़ी में पार्टी ने संसदीय गुणों से वाकिफ और वरिष्ठता रखने वाले नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया को असम का राज्यपाल बनाकर साफ संकेत दे दिया है कि पार्टी चुनाव को लेकर एक्शन मोड में हैं। गुलाबचंद कटारिया की राजनीति को सक्रिय रूप से विराम देने के पीछे पार्टी की बड़ी सोच नई पीढ़ी के नेताओं को तैयार करने की हैं, जिससे कि पार्टी को भविष्य के लिए लम्बा नेतृत्व देने वाले निष्ठावान कार्यकर्ता मिल सकें। लेकिन बड़ा सवाल तो यहां यह भी उठ रहा है कि नेता प्रतिपक्ष को असम का राज्यपाल बनाने के बाद उदयपुर और प्रदेश में किसको उनके स्थान पर मौका मिलेगा? वह कौन सा युवा या अनुभवी नेता होगा, जो प्रदेश में भाजपा की कुशल रणनीति का अहम हिस्सा बनेगा।
कहा जाए तो जनता के लिए पीएम नरेंद्र मोदी नीति और निर्णय का प्रतिबिंब बन चुके हैं। मोदी ने अपने करिश्माई नेतृत्व के बूते सभी के दिलों पर पर राज किया है। पीएम नरेद्र मोदी का बार-बार राजस्थान की ओर रूख करना भी साफ झलकाता है कि राजस्थान में बीजेपी मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ेगी। मेवाड़ और वागड़ की बात की जाए तो क्षेत्र की सभी 28 सीटों पर पार्टी की सीधी नजर है। उसके पीछे बड़ा कारण यह भी है राजस्थान की राजनीति में आजादी के बाद ऐसे ही समीकरण दिखे और बने हैं कि जिस पार्टी ने इस अंचल पर बड़ी जीत हासिल की है, प्रदेश की सत्ता में काबिज होने की उसकी राह आसान हो जाती हैं। हालांकि वागड़ क्षेत्र की बात करें तो भाजपा को यहां भारतीय ट्राइबल पार्टी यानी बीटीपी से चुनौती मिल सकती है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर ये चुनाव लड़ा जाता है तो उन्होंने निश्चित रूप से इसका तोड़ भी ढूंढ लिया होगा। लेकिन अंतत: तो सवाल यही सबके सामने आएगा कि प्रदेश में भाजपा की ओर से अगला मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा? क्या पार्टी फिर से वसुंधरा राजे को मौका देगी, जो भाजपा का प्रदेश में पर्याय कहीं जाती हैं या इस बार कोई चौंकाने वाला नाम और चेहरा सामने आएगा।
कौन बनेगा मेवाड़ में भाजपा का विकल्प ?
मेवाड़ में एक सफल राजनेता के रूप में गुलाबचंद कटारिया की पहचान रही हैं। उनकी उदयपुर के साथ आस-पास के विधानसभा क्षेत्रों में भी खासी पकड़ रही है। कटारिया के राज्यपाल बनने के बाद अब उन्हें विधायक पद से इस्तीफा देना होगा। आगामी चुनाव को देखते हुए बीजेपी जल्द ही उदयपुर सीट पर नए चेहरे को तय करेगी, जिसे विधानसभा चुनाव से पहले जनता के बीच काम करने का मौका मिल सके। हालांकि उदयपुर शहर की सीट पर अब तक गुलाबचंद कटारिया का एक छत्र राज रहा है, जो जैन समुदाय से आते हैं। यदि उनके स्थान पर किसी भी जैन समुदाय के चेहरे को टटोला जाए तो कुछ सक्रिय नाम सामने आते हैं। इनमें नगर निगम के उप महापौर पारस सिंघवी, नगर निगम की निर्माण समिति के अध्यक्ष ताराचंद जैन, वरिष्ठ नेता प्रमोद सामर और आकाश वागरेचा के नाम शामिल हैं। यदि भाजपा ब्राह्मण चेहरे पर नजर डाली जाए तो वर्तमान जिलाध्यक्ष रविद्र श्रीमाली कतार में खड़े हुए हैं।
वहीं वैश्य वर्ग को देखें तो महिला मोर्चा की प्रदेशाध्यक्ष अलका मूदड़ा भी पीछे नहीं हैं। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से उसके पारिवारिक रिश्ते जगजाहिर हैं। इधर, राजपूत समाज की बात की जाए तो पूर्व राजघराने के लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ भी एक चेहरा हो सकते हंै। इस घराने से जुड़े कई सदस्य पहले भी राजनीति में सक्रिय रहे हैं। बीते एक वर्ष से इसी परिवार के लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ लगातार सामाजिक गतिविधियों में व्यस्त हैं। वे आम और खास सबके साथ निरंतर दिखाई दे रहे हैं। भाजपा के भी कई राजनेताओं से मुलाकात कर चुके हैं। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया समेत तमाम नेताओं के साथ उनकी तस्वीरें सामने आ चकी हैं। हालांकि इन मुलाकातों को हर बार उन्होंने शिष्टाचार ही बताया। ऐसे में उदयपुर में किसको पार्टी की सेवा का मौका मिलता है, इस पर सबकी नजर रहेगी। इधर नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में कई नेता हैं, लेकिन बदले हुए राजनीतिक हालात में इस पद के लिए भी चौंकाने वाला नाम सामने आ सकता है